आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आज सिर्फ टेक्नोलॉजी का हिस्सा नहीं रह गया है, बल्कि यह इंसानों की ज़िंदगी बदलने का काम भी कर रहा है। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने दुनिया को हैरान कर दिया। ब्रिटेन की रहने वाली आर्टिस्ट सारा एज़ेकील, जो पिछले 25 साल से अपनी आवाज़ खो चुकी थीं, अब फिर से अपनी असली आवाज़ में बोल पा रही हैं—वो भी सिर्फ 8 सेकेंड की एक पुरानी क्लिप की मदद से।

एमएनडी की वजह से खोई थी आवाज़
सारा एज़ेकील 34 साल की उम्र में मोटर न्यूरॉन डिज़ीज़ (MND) से पीड़ित हो गई थीं। यह बीमारी नर्वस सिस्टम को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है और जीभ, गले और मुंह की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है। इस वजह से बहुत से लोग बोलने की क्षमता पूरी तरह खो बैठते हैं। सारा के साथ भी यही हुआ। उन्होंने कई साल तक कंप्यूटर जनरेटेड आवाज़ का सहारा लिया, लेकिन वह आवाज़ उनकी असली आवाज़ से बिल्कुल अलग थी। इस कारण उन्हें हमेशा ऐसा लगता कि वे खुद नहीं बोल रही हैं।
बच्चों ने कभी नहीं सुनी थी मां की आवाज़
सारा के दो बच्चे अवीवा और एरिक—जब बड़े हुए तो उन्हें कभी यह पता ही नहीं चला कि उनकी मां की असली आवाज़ कैसी थी। यह बात सारा को और ज़्यादा परेशान करती थी। उन्होंने कई बार सोचा कि अब शायद अपनी असली आवाज़ दोबारा सुनना या सुनाना संभव नहीं होगा। लेकिन जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वॉयस तकनीक में प्रगति हुई, उम्मीद की एक नई किरण जगी। इसी दौरान उन्हें ब्रिटेन की मेडिकल कम्युनिकेशन कंपनी स्मार्टबॉक्स के बारे में पता चला, जो आवाज़ को दोबारा बनाने पर काम कर रही थी।
सिर्फ 8 सेकेंड ने बदली ज़िंदगी
शुरुआत में एक्सपर्ट्स ने सारा से उनकी आवाज़ की लंबी रिकॉर्डिंग मांगी, लेकिन उनके पास सिर्फ 1990 के दशक की एक पुरानी होम वीडियो क्लिप थी—वह भी सिर्फ 8 सेकेंड लंबी। इस क्लिप की क्वालिटी बेहद खराब थी और बैकग्राउंड में टीवी की आवाज़ भी थी। पहले तो एक्सपर्ट्स को शक हुआ कि इससे कुछ बन पाएगा या नहीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने न्यूयॉर्क की कंपनी ElevenLabs की मदद ली, जिसने इस छोटे से सैंपल से सारा की असली आवाज़ को दोबारा बना दिया।
जब सारा ने पहली बार अपनी नई-पुरानी आवाज़ सुनी, तो वे भावुक होकर रो पड़ीं। इसमें उनका वही लंदन वाला लहजा और हल्की तुतलाहट भी थी, जिसे वे कभी पसंद नहीं करती थीं। लेकिन आज यही आवाज़ उनके लिए दुनिया का सबसे बड़ा तोहफ़ा बन गई है।
एआई की यह सफलता सिर्फ सारा की ज़िंदगी नहीं बदल रही, बल्कि उन लाखों मरीजों के लिए भी उम्मीद की नई रोशनी है जो किसी बीमारी की वजह से अपनी आवाज़ खो चुके हैं। यह साबित करता है कि तकनीक अगर सही दिशा में इस्तेमाल हो, तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं।