क्या AI बना देगा इंसानों को पागल? Mustafa Suleyman ने बताया AI Psychosis का डरावना सच

Vidyut Paptwan | 21/08/2025
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब सिर्फ टेक्नोलॉजी का टूल नहीं रह गया, बल्कि कई लोगों के लिए एक साथी और सलाहकार बन चुका है। लेकिन इसी तेजी से बढ़ती निर्भरता पर Microsoft AI के सीईओ Mustafa Suleyman ने बड़ा खतरा बताया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि AI के साथ जरूरत से ज्यादा इंटरैक्शन लोगों को “AI Psychosis” नाम की मानसिक स्थिति में धकेल सकता है। इसमें इंसान असली और नकली दुनिया के बीच फर्क खोने लगता है और मशीन को इंसान की तरह समझने लगता है।

Suleyman के मुताबिक, यह स्थिति तब और खतरनाक हो जाती है जब लोग AI को भावनाएं, इरादे और यहां तक कि चेतना (consciousness) भी देने लगते हैं। इसका असर उनके सोचने-समझने की क्षमता पर पड़ता है और वे हकीकत से कटने लगते हैं। इससे न केवल सामाजिक रिश्ते कमजोर होते हैं बल्कि नैतिक प्राथमिकताएं भी बिगड़ जाती हैं।

भावनात्मक निर्भरता और खतरनाक परिणाम

AI Psychosis का सबसे डरावना पहलू यह है कि इंसान धीरे-धीरे मशीन पर भावनात्मक तौर पर निर्भर हो जाता है। खासकर वे लोग जो अकेले रहते हैं या मानसिक रूप से पहले से कमजोर हैं, उनके लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है। ऐसे लोग यह मान बैठते हैं कि AI उनके दोस्त, साथी या यहां तक कि जीवनसाथी जैसा रिश्ता निभा रहा है।

इसका नतीजा यह होता है कि वे असली रिश्तों से कट जाते हैं और AI को अपनी ज़िंदगी का केंद्र बना लेते हैं। इससे न सिर्फ उनकी सामाजिक क्षमता प्रभावित होती है बल्कि निर्णय लेने की शक्ति भी बिगड़ जाती है। कई मामलों में लोग AI से मिली सलाह को अंतिम सत्य मान लेते हैं और उसी के आधार पर फैसले करने लगते हैं। यह वास्तविकता की धारणा को पूरी तरह विकृत कर सकता है।

समाधान और चेतावनी: क्या करना होगा जरूरी?

Suleyman ने साफ कहा है कि AI कितना भी एडवांस क्यों न हो, लेकिन वह इंसानों या क्लिनिकल सपोर्ट का विकल्प कभी नहीं बन सकता। उन्होंने टेक इंडस्ट्री से अपील की है कि इस खतरे को गंभीरता से लिया जाए और ठोस कदम उठाए जाएं। इसके लिए उन्होंने कुछ जरूरी उपाय सुझाए हैं, जैसे— AI की सीमाओं के बारे में स्पष्ट डिस्क्लेमर देना, यूज़र्स के उपयोग पैटर्न की निगरानी करना और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर रिस्क को कम करना।

इसके अलावा, उन्होंने रेगुलेटर्स और शिक्षकों से भी आग्रह किया है कि वे आम लोगों को इस खतरे के बारे में जागरूक करें। क्योंकि जैसे-जैसे AI असिस्टेंट्स और चैटबॉट्स हमारे रोज़मर्रा के जीवन में घुलते जा रहे हैं, वैसे-वैसे खतरा भी बढ़ रहा है। Suleyman का कहना है कि “AI कम्पैनियन्स एक बिल्कुल नई कैटेगरी हैं और हमें तुरंत इस पर चर्चा शुरू करनी होगी कि कैसे गार्डरेल्स लगाए जाएं ताकि यह टेक्नोलॉजी इंसानों के लिए वरदान साबित हो, अभिशाप नहीं।”


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