एक हादसे ने अवनी लेखरा की जिंदगी पूरी तरह से बदल दी, जब उनके पिता का 2012 में ट्रांसफर जयपुर से धौलपुर हुआ और रास्ते में उनकी कार का भयानक एक्सीडेंट हो गया।

इस हादसे में अवनी के दोनों पैर खराब हो गए, और वह डेढ़ साल तक गहरे डिप्रेशन में चली गईं।

अवनी के पिता ने उनके जीवन में बदलाव लाने का फैसला किया और उन्हें तीरंदाजी सीखने भेजा, लेकिन प्रत्यंचा चढ़ाने में अवनी को काफी दिक्कतें आईं।

2015 में, उनके पिता ने एक और कोशिश की और इस बार उन्हें शूटिंग रेंज भेजना शुरू किया।

अवनी के पिता ने उन्हें ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा की बायोग्राफी पढ़ने को दी। इसने अवनी के अंदर एक नया जुनून जगा दिया और वह रोज़ाना 7-8 घंटे शूटिंग की प्रैक्टिस करने लगीं।

अवनी की इस मेहनत और जुनून को देखते हुए उनके पिता ने अपना घर ही शूटिंग रेंज के पास शिफ्ट कर लिया और घर में ही एक शूटिंग प्रैक्टिस एरिया बना दिया।

इतनी मेहनत के बावजूद, अवनी ने पढ़ाई भी नहीं छोड़ी। वह राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीए-एलएलबी कर रही हैं और अपनी दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं।