AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) अब केवल तकनीकी प्रयोगशाला का टॉपिक नहीं रहा, बल्कि यह सीधे हमारी नौकरियों, करियर और शिक्षा के भविष्य को बदलने वाला फैक्टर बन चुका है। हाल ही में सिलिकॉन वैली के दिग्गज और अरबपति वेंचर कैपिटलिस्ट विनोद खोसला ने Zerodha के को-फाउंडर निखिल कामत के साथ एक पॉडकास्ट में जो भविष्यवाणी की, वह चौंकाने वाली है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि आने वाले सिर्फ 5 सालों में AI दुनिया की 80% नौकरियों पर कब्जा कर लेगा। जो काम आज इंसान कर रहे हैं, उनमें से अधिकांश काम AI खुद करना शुरू कर देगा – तेज़ी से, सटीकता से और बिना थके। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां हर हफ्ते हजारों कर्मचारियों को निकाल रही हैं। कहीं इसे “वर्कफोर्स रीस्ट्रक्चरिंग” कहा जा रहा है, तो कहीं “ऑपरेशन को AI से ऑप्टिमाइज़ करने” का बहाना दिया जा रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि AI ऑटोमेशन ने मानवीय श्रम की आवश्यकता को तेजी से घटा दिया है।

खोसला की बात यहीं खत्म नहीं होती। उन्होंने इस बदलाव को मानव इतिहास का सबसे बड़ा ट्रांजिशन बताया है। लेकिन इस अलार्म के साथ-साथ उन्होंने एक सलाह भी दी, खासतौर पर छात्रों के लिए। उनका कहना है कि अब वक्त आ गया है कि छात्र खुद को एक Generalist की तरह विकसित करें। सिर्फ किसी एक स्किल में एक्सपर्ट बनना अब काफी नहीं है, क्योंकि AI स्पेशलिस्ट कामों को इंसान से बेहतर तरीके से कर पाएगा। Generalist बनने का मतलब है – अलग-अलग क्षेत्रों की समझ होना, तेजी से सीखने की क्षमता और बदलती दुनिया में खुद को ढालने की लचीलापन होना। उन्होंने यह भी कहा कि जिज्ञासा और अनुकूलन की क्षमता अब करियर की असली सुपरपावर बनेंगी। Narrow Skillsets रखने वाले लोग AI के मुकाबले पिछड़ जाएंगे, लेकिन जो व्यक्ति नई चीजें जोड़कर सोच सकेगा, वह आगे बढ़ेगा।
स्टार्टअप की दुनिया में आने की सोच रहे युवाओं को भी खोसला ने सीधी सलाह दी – “ऐसी समस्या को हल करो जो वाकई मायने रखती हो।” उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग ऐसा कुछ करने की कोशिश करते हैं जो बिज़नेस की तरह दिखे, लेकिन असली सफलता उन्हीं को मिलती है जो कोई ऐसा सपना पकड़ते हैं जिसे बाकी लोग नजरअंदाज कर देते हैं। आज जब AI एक्सीक्यूशन को आसान बना रहा है, तो अब वैल्यू उस सोच में होगी जो साहसी हो, बड़ी हो और अलग हो। इसलिए जो लोग रिस्क लेने और नया सोचने के लिए तैयार हैं, उनके लिए AI का युग मौका लेकर आया है, डर नहीं।
खोसला की सबसे दिलचस्प भविष्यवाणी थी कि 2040 तक हेल्थकेयर और एजुकेशन लगभग फ्री हो जाएंगे। AI इतनी तेजी से उन्नत हो रहा है कि वह न केवल सबसे अच्छे डॉक्टर जितनी मेडिकल सलाह दे सकेगा, बल्कि स्टैनफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय की क्वालिटी की एजुकेशन भी मुफ्त में उपलब्ध करा सकेगा – वो भी दुनिया के किसी भी कोने में, सिर्फ इंटरनेट के जरिए। उन्होंने कहा कि यह AI की असली पॉजिटिव पावर है – वो चीजें संभव बनाना जो पहले असंभव थीं। यहां तक कि छोटे शहर और गांव भी अब बड़े शहरों जैसी सुविधाएं और मौके पा सकेंगे, क्योंकि अब भौगोलिक दूरी मायने नहीं रखेगी। खोसला का मानना है कि अगर समाज इस ट्रांजिशन को समझदारी से संभालता है, तो AI सबसे बड़ा Equalizer बन सकता है, जो सबको बराबरी का मौका देगा।
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