सोलर पैनल का नाम सुनते ही दिमाग में छत पर लगे बड़े-बड़े काले पैनल की तस्वीर उभरती है, लेकिन क्या हो अगर आपकी खिड़कियां और शीशे भी सूरज की रोशनी से बिजली बनाने लगें? एक ऐसी दुनिया की जहां आपकी खिड़कियाँ न केवल सूरज की रोशनी अंदर आने देंगी बल्कि आपके घर के लिए बिजली भी उत्पन्न करेंगी। यह सपना जल्द ही हकीकत बनने वाला है, पारदर्शी सोलर पैनल्स (Transparent Solar Panels) की वजह से। वैज्ञानिकों ने ऐसे पारदर्शी सोलर पैनल विकसित कर लिए हैं जो आपके खिड़कियों के शीशे की जगह लगाए जा सकते हैं और घर में बिजली पैदा कर सकते हैं। आइए, जानते हैं इस अद्भुत तकनीक के बारे में विस्तार से।

पारदर्शी सोलर पैनल्स: कैसे करते हैं काम?
अभी तक हम जो सोलर पैनल्स देखते हैं, वे ठोस और अपारदर्शी होते हैं जिन्हें छतों या खुले मैदान में लगाया जाता है। लेकिन अब शोधकर्ताओं ने पारदर्शी सोलर पैनल्स बनाए हैं जो खिड़कियों में लग सकेंगे। आप सोच रहे होंगे कि पारदर्शी खिड़की सूरज की रोशनी से बिजली कैसे उत्पन्न कर सकती है। इन पैनल्स को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि वे कुछ स्पेशल वेवलेंथ की रोशनी को अब्सॉर्ब करते हैं और विज़िबल लाइट को गुजरने देते हैं।
यह तकनीक ट्रांसपेरेंट ल्यूमिनसेंट सोलर कंसंट्रेटर्स (TLSC) पर आधारित है, जो पराबैंगनी (UV) और अवरक्त (Infrared) रोशनी को अब्सॉर्ब करके बिजली में परिवर्तित करती है। मिशिगन विश्वविद्यालय के इंजीनियरों द्वारा विकसित TLSC तकनीक साइनाइन डाई का उपयोग करती है जो इनविजिबल सोलर रेडिएशन को अब्सॉर्ब करती है। यह पैनल कार्बन-आधारित IC-SAM परत और जिंक ऑक्साइड परत से बने होते हैं, जो उनकी एफिशिएंसी को बढ़ाते हैं और उन्हें 30 साल तक टिकाऊ बनाते हैं।
पारदर्शी सोलर पैनल्स का उपयोग और फायदें
पारदर्शी सोलर पैनल्स को पतली पारदर्शी चादरों के रूप में ढाला जा सकता है और इन्हें खिड़कियों, स्मार्टफोन स्क्रीन और कार की छतों में उपयोग किया जा सकता है। इनका वर्सटाइल होना ही इनकी खूबी और विशेषता है। पारदर्शी सोलर पैनल्स का उपयोग नीदरलैंड की कंपनी PHYSEE ने सफलतापूर्वक किया है। कंपनी ने नीदरलैंड में एक बैंक भवन में 300 वर्ग फुट क्षेत्र में अपने सोलर पावर विंडो स्थापित किए हैं।
हालांकि, यह पैनल अभी पूरी इमारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन कंपनी का दावा है कि थोड़े और प्रयासों के साथ यह जल्द ही अपनी सोलर खिड़कियों की फिजिबिलिटी और बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में सक्षम होंगे। जापान की Nippon Sheet Glass Company ने भी अपनी इमारत में पहली सोलर खिड़की लगाई है और Colorado में एक निर्माणाधीन कमर्शियल बिल्डिंग में पारदर्शी सोलर खिड़कियां लग रही हैं।
भारत में कैसे बदलेगी पिक्चर?
भारत जैसे देश में जहां साल के ज्यादातर दिन धूप रहती है, इस टेक्नोलॉजी का भविष्य बहुत उज्जवल है। हमारे देश में बिल्डिंग्स की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है और नई स्मार्ट सिटीज़ बन रही हैं। इन सभी में ट्रांसपेरेंट सोलर का इस्तेमाल करके हम एनर्जी क्राइसिस से निपट सकते हैं।
IIT मद्रास और IIT बॉम्बे जैसे संस्थान पहले से ही इस टेक्नोलॉजी पर रिसर्च कर रहे हैं। 2023 में मुंबई में एक कमर्शियल बिल्डिंग में पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया था जिसमें 100 वर्ग मीटर के ट्रांसपेरेंट सोलर ग्लास लगाए गए थे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले 5-7 सालों में यह टेक्नोलॉजी मेनस्ट्रीम बन जाएगी। कंपनियां पहले से ही रिटेल स्टोर्स, मॉल्स और ऑफिस बिल्डिंग्स के लिए ट्रांसपेरेंट सोलर सॉल्यूशंस डेवलप कर रही हैं। हमारे स्मार्टफोन, लैपटॉप और कारों में भी जल्द ही इस तकनीक का इस्तेमाल हो सकता है।
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