दुनिया में ऊर्जा संकट और पर्यावरण संकट के बीच एक नई क्रांति ने दस्तक दी है। इस बार यह धमाका रूस से हुआ है, जहां वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सोलर पैनल विकसित किया है जो खिड़कियों से होकर भी बिजली बना सकता है! जी हां, अब आपकी पारदर्शी खिड़कियां भी पॉवर प्लांट की तरह काम करेंगी। आइए जानते हैं इस जबरदस्त इनोवेशन के बारे में विस्तार से।

पारंपरिक सोलर पैनल की सीमाएं अब होंगी खत्म
अब तक सोलर पैनल का मतलब था छत पर लगे बड़े-बड़े, भारी और काले पैनल, जो सूरज की रोशनी से बिजली बनाते हैं। यह पैनल मुख्यतः सिलिकॉन से बने होते हैं जो कि काफी भरोसेमंद और किफायती हैं, लेकिन उनकी क्षमता 18% से 22% तक ही सीमित रहती है।
इसके अलावा, इन्हें इमारतों में लगाने के लिए काफी जगह चाहिए होती है और वे अक्सर डिजाइन में रुकावट पैदा करते हैं। यही वजह है कि शहरों के ऊंचे भवनों और आधुनिक आर्किटेक्चर में इन्हें आसानी से समायोजित नहीं किया जा सकता।
रूस ने पेश की पारदर्शी Perovskite Solar Panel तकनीक
अब रूस के National University of Technology के वैज्ञानिकों ने इस समस्या का एक शानदार हल निकाला है। उन्होंने सेमी-ट्रांसपेरेंट Perovskite Solar Panels बनाए हैं, जो पारदर्शी होने के साथ-साथ अधिक एफिशिएंट भी हैं। इन पैनलों में Ion Beam Sputtering नाम की एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो पुराने Magnetron Sputtering की तुलना में ज्यादा सटीक और नुकसान रहित है।
इस तकनीक की मदद से सोलर सेल में ITO (Indium Tin Oxide) की कोटिंग बेहद समान रूप से और बिना गर्मी पहुंचाए की जा सकती है, जिससे सेल की कार्यक्षमता में बड़ा उछाल आया है। जहां पहले एफिशिएंसी केवल 3.12% थी, वही अब यह सीधे 12.65% तक पहुंच गई है।
खिड़कियां, दीवारें और छज्जे बनेंगे पावरहाउस
इन Perovskite पैनलों की सबसे बड़ी खूबी है इनकी सेमी-ट्रांसपेरेंसी, यानी ये पैनल रोशनी को पास होने देते हैं और साथ ही बिजली भी बनाते हैं। इसका मतलब यह है कि इन्हें घर की खिड़कियों, दीवारों, छज्जों और कांच की छतों में आसानी से फिट किया जा सकता है।
कल्पना कीजिए कि आपका ऑफिस या घर की खिड़कियां दिन भर धूप से बिजली बना रही हैं और आपको अलग से कोई सोलर सिस्टम लगाने की जरूरत ही नहीं! इससे न सिर्फ बिजली की बचत होगी, बल्कि बिल्डिंग की खूबसूरती भी बनी रहेगी।
भविष्य में दिखेगा इसका बड़ा असर
Perovskite तकनीक कोई नई खोज नहीं है। 2009 में इससे बने सोलर सेल्स की एफिशिएंसी मात्र 3.8% थी। लेकिन आज यह 29% से भी ऊपर पहुंच चुकी है, जो कि सिलिकॉन पैनलों से भी आगे है। रूसी वैज्ञानिकों की यह खोज अब इस तकनीक को रियल वर्ल्ड एप्लिकेशन के लिए एक कदम और आगे ले जा रही है।
अब बात सिर्फ छतों पर पैनल लगाने की नहीं रही, बल्कि पूरे घर और बिल्डिंग को एक ऊर्जा उत्पादक सिस्टम बनाने की है। इससे सोलर एनर्जी सिर्फ एक सप्लीमेंट नहीं, बल्कि हमारे घरों का अभिन्न हिस्सा बन जाएगी।
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