इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना हमेशा से टैक्सपेयर्स के लिए सिरदर्द रहा है। ज्यादातर लोग इसे इतना पेचीदा मानते हैं कि बिना चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की मदद लिए आगे बढ़ ही नहीं पाते। दस्तावेज़ इकट्ठा करना, फॉर्म समझना और बार-बार क्लैरिफिकेशन के लिए इंतजार करना, इन सबने इस प्रक्रिया को और मुश्किल बना दिया था। लेकिन अब यही काम मिनटों में होगा। टैक्सबडी (TaxBuddy) ने भारत का पहला एआई-संचालित टैक्स फाइलिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जो सिर्फ 3 मिनट में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर देगा। कंपनी का दावा है कि इस प्लेटफॉर्म से टैक्सपेयर्स की सभी झंझटें खत्म हो जाएंगी और उन्हें बार-बार CA के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

कैसे काम करेगा TaxBuddy AI?
TaxBuddy AI का इस्तेमाल बेहद आसान है। यूज़र को बस प्लेटफॉर्म पर साइन अप करना है और स्क्रीन पर पूछे गए कुछ निर्देशित सवालों का जवाब देना है। उसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बैकएंड में पूरी गणना करेगा और महज 3 मिनट में रिटर्न तैयार कर देगा। इतना ही नहीं, यह सिस्टम टैक्स कानूनों की व्याख्या करेगा, उपयोगकर्ता की शंकाओं का तुरंत समाधान देगा और साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि हर कम्पलायंस सही तरीके से पूरा हो। यानी अब किसी कागज़ात या कानूनी प्रावधान को समझने के लिए घंटों या दिनों तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नौकरीपेशा, फ्रीलांसर और छोटे व्यवसायी सभी के लिए यह प्लेटफॉर्म मददगार साबित होगा।
डेडलाइन और टैक्सपेयर्स के लिए राहत
इस साल टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर, 2025 तय की गई है। यह तारीख उन टैक्सपेयर्स के लिए लागू होगी जिनके खातों का ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है। मूल रूप से आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई, 2025 थी, लेकिन आकलन वर्ष 2025-26 के लिए अधिसूचित बदलावों और आईटीआर यूटिलिटी में समय की आवश्यकता को देखते हुए सरकार ने इसे बढ़ा दिया। TaxBuddy AI जैसे प्लेटफॉर्म से अब लाखों टैक्सपेयर्स को समय रहते रिटर्न फाइल करने में आसानी होगी। डिजिटल इंडिया की दिशा में यह कदम न सिर्फ टैक्स फाइलिंग की जटिलता कम करेगा बल्कि पारदर्शिता और सुविधा भी बढ़ाएगा।
टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में एआई पर आधारित ऐसे प्लेटफॉर्म भारत में टैक्स से जुड़ी पूरी प्रक्रिया को बदलकर रख देंगे। अब टैक्स फाइलिंग कोई बोझ नहीं बल्कि एक आसान और तेज़ डिजिटल प्रोसेस बन जाएगी, जिससे टैक्सपेयर्स का समय और ऊर्जा दोनों बचेंगे।