सौर ऊर्जा हुई सस्ती! जानिए कैसे ₹200 से घटकर ₹9 प्रति kW हुई सोलर सिस्टम लगाने की लागत

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | 24/06/2025
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साल 2010 में जब कोई व्यक्ति सोलर पैनल लगवाने की सोचता था तो उसे प्रति वॉट ₹200 खर्च करने पड़ते थे। यानी 1 किलोवॉट सोलर पैनल के लिए पूरे ₹2 लाख तक की जरूरत होती थी। ऐसे में यह तकनीक आम लोगों के बजट से बाहर थी। लेकिन अब 2024 में यह कहानी पूरी तरह बदल गई है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब फोटोवोल्टिक मॉड्यूल की कीमत सिर्फ ₹9 प्रति वॉट रह गई है। यानी अब वही 1 किलोवॉट का पैनल मात्र ₹9,000 में लगवाया जा सकता है। यह 95% की कीमत में गिरावट है, जिसे भारत की ऊर्जा क्रांति के रूप में देखा जा रहा है।

Solar energy becomes cheaper

सोलर पैनल की लागत में भारी गिरावट का राज

सोलर पैनल की कीमतों में यह भारी गिरावट कई वजहों से आई है। सबसे अहम कारण है इनका थोक (bulk) उत्पादन। जैसे-जैसे इनकी मांग बढ़ी वैसे-वैसे बड़े पैमाने पर निर्माण शुरू हुआ, जिससे यूनिट कॉस्ट कम होती गई। इसे एक आसान उदाहरण से समझते है – अगर आप एक शादी का कार्ड छपवाते हैं तो वो महंगा पड़ता है, लेकिन अगर आप 1000 कार्ड छपवाते हैं तो प्रति कार्ड लागत कम हो जाती है। इसी तरह जब सरकार ने गांव-गांव तक सोलर पैनल पहुंचाने के लिए योजनाएं शुरू कीं, तो डिमांड बढ़ी और कंपनियों ने इन्हें बड़े स्तर पर बनाना शुरू कर दिया। साथ ही मटेरियल्स और तकनीकी में सुधार भी हुआ, जिससे प्रोडक्शन सस्ता और तेज होता चला गया।

बैटरी स्टोरेज भी हुआ सस्ता और टिकाऊ

सोलर एनर्जी को पूरी तरह से उपयोग में लाने के लिए जरूरी है कि बिजली को स्टोर किया जा सके, ताकि रात में भी उसका इस्तेमाल किया जा सके। इसके लिए बैटरी स्टोरेज सिस्टम जरूरी होता है। अच्छी बात यह है कि बैटरी की कीमतें भी अब बहुत कम हो गई हैं। उदाहरण के तौर पर, 2020 में एक यूनिट बैटरी स्टोरेज की कीमत ₹13,860 थी, जबकि 2024 में यह घटकर ₹8,388 रह गई है। इसके अलावा, बैटरियों की लाइफ भी अब काफी लंबी हो गई है। नई तकनीक वाली बैटरियां अब 15,000 बार चार्ज और डिस्चार्ज हो सकती हैं, जिससे उनका इस्तेमाल लंबे समय तक किया जा सकता है। यह परिवर्तन भी सौर ऊर्जा को और अधिक भरोसेमंद बनाता है।

भारत में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

भारत के लिए यह बदलाव सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। सस्ती सौर ऊर्जा ने गांवों और कस्बों तक बिजली पहुंचाने को आसान बना दिया है। अब छोटे किसान भी सोलर पंप से अपने खेतों को सींच सकते हैं और आम घर भी सौर ऊर्जा से अपने बिजली बिल को शून्य कर सकते हैं। इस तकनीक से लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं – जैसे इंस्टॉलेशन, मरम्मत, बैटरी सप्लाई और पैनल निर्माण में। इसके साथ ही भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए विदेशी तेल और कोयले पर निर्भरता कम कर रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में अहम है।

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