अब तक टेलीकॉम की दुनिया में धूम मचाने के बाद, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सोलर मार्केट में भी बड़ा कदम उठा लिया है। गुजरात के जामनगर में रिलायंस की तरफ से एक अत्याधुनिक “सोलर गीगा फैक्ट्री” की शुरुआत की गई है, जो करीब 5,000 एकड़ में फैली हुई है। इस फैक्ट्री का मकसद है – भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और चीन जैसे देशों से आयात पर निर्भरता को खत्म करना। रिलायंस इस फैक्ट्री में 20 गीगावॉट तक सोलर पैनल बनाने की क्षमता विकसित कर रहा है। खास बात यह है कि यह फैक्ट्री पूरी तरह से ‘Quartz to Module’ तकनीक पर आधारित होगी, यानी कच्चे क्वार्ट्ज से लेकर मॉड्यूल तक सभी निर्माण एक ही जगह किए जाएंगे।

आधी कीमत में मिलेगा हाई क्वालिटी प्रोडक्ट
सबसे दिलचस्प बात यह है कि Jio के ये सोलर पैनल्स मार्केट में मौजूद अन्य कंपनियों के पैनल्स से करीब 40-50% सस्ते हैं। जहां एक नॉर्मल सोलर पैनल की कीमत लगभग ₹40,000-50,000 प्रति किलोवाट है, वहीं Jio के पैनल्स की कीमत सिर्फ ₹20,000-25,000 प्रति किलोवाट के आसपास है। एक मिडिल क्लास फैमिली के लिए 3-5 किलोवाट का सिस्टम काफी होता है, जिसकी कीमत अब सिर्फ ₹60,000-1,25,000 के बीच हो सकती है। इससे हर महीने हज़ारों रुपए की बिजली बचेगी और सिस्टम कुछ ही सालों में अपनी कीमत वसूल कर लेता है।
Jio के सोलर पैनलों की सबसे बड़ी खासियत इन पर मिलने वाली 50 साल की लंबी वारंटी है। मौजूदा समय में बाजार में मिलने वाले पैनल अधिकतम 25-30 साल की ही वारंटी के साथ आते हैं, लेकिन Jio ने इसे दोगुना करके नया बेंचमार्क सेट कर दिया है।
कैसे संभव हुआ इतना सस्ता होना?
Jio के इस गेम चेंजिंग मूव के पीछे की वजह है उनकी बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग और वर्टिकल इंटीग्रेशन है। कंपनी ने सिलिकॉन से लेकर फाइनल प्रोडक्ट तक की पूरी सप्लाई चेन को अपने कंट्रोल में रखा है, जिससे कॉस्ट ड्रामेटिकली कम हो गई है। साथ ही, भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं के तहत मिलने वाले टैक्स बेनिफिट्स का भी फायदा कंपनी उठा रही है।
लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और ग्रीन एनर्जी की नई शुरुआत
रिलायंस ने नॉर्वे की REC सोलर कंपनी का अधिग्रहण किया है, जो अत्याधुनिक हाइड्रोजन-आधारित तकनीक से सोलर पैनल बनाती है। इस टेक्नोलॉजी से बने पैनल 26% तक की ऊर्जा एफिशिएंसी प्रदान करते हैं, जो सामान्य पैनलों से कहीं अधिक है। कंपनी का यह कदम भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘ग्रीन एनर्जी’ नीति को भी मजबूती देता है। इतना ही नहीं, जामनगर फैक्ट्री में बैटरी स्टोरेज यूनिट और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की भी तैयारी चल रही है, ताकि आने वाले समय में सोलर पावर को 24×7 इस्तेमाल किया जा सके।
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