महाराष्ट्र ने देश में स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में सबसे बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने “मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना 2.0” (MSKVY 2.0) की शुरुआत की है, जो अब दुनिया की सबसे बड़ी विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा योजना बन चुकी है। इस योजना के तहत महाराष्ट्र अपने 16,000 मेगावाट के कृषि बिजली लोड को पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर आधारित करने जा रहा है। इस योजना में ₹68,000 करोड़ का भारी-भरकम निवेश होगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बल मिलेगा और 70,000 से ज्यादा रोजगार के अवसर तैयार होंगे। यह योजना ना केवल किसानों को दिन में बिजली उपलब्ध कराएगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को भी हर साल 21.78 मिलियन टन तक घटाएगी।

महाराष्ट्र की योजना क्यों है ऐतिहासिक?
यह योजना एक सामान्य सौर नीति से कहीं अधिक है। यह ग्रामीण बदलाव की एक मजबूत आधारशिला बन रही है। महाराष्ट्र ने न केवल तकनीकी समाधान दिए हैं, बल्कि इसे बेहद सुगम और तेज़ बनाने के लिए प्रशासनिक सुधार भी किए हैं। योजना के तहत हर ग्रामीण उपकेंद्र के पास 2 से 10 मेगावाट के छोटे-छोटे सोलर प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे, जिससे ट्रांसमिशन लॉस कम होंगे और किसानों को दिन के समय स्थायी बिजली मिल सकेगी। MSKVY 2.0 को सफल बनाने के लिए Maharashtra Solar Agro Power Limited (MSAPL) को नोडल एजेंसी बनाया गया है और एक ऑनलाइन लैंड बैंक पोर्टल के जरिए ज़मीन एकत्र करने की प्रक्रिया को आसान किया गया है। साथ ही सिंगल विंडो क्लीयरेंस और निवेशकों के लिए परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव जैसी योजनाएं इस प्रोजेक्ट को निवेश के लिए आकर्षक बनाती हैं।
ग्रामीण रोजगार और अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया जीवन
MSKVY 2.0 योजना का सबसे बड़ा फायदा ग्रामीण इलाकों को होगा। इस योजना से 70,000 से अधिक नई नौकरियों के मौके पैदा होंगे, जिसमें से ज्यादातर नौकरियां ग्रामीण युवाओं के लिए होंगी। साथ ही ₹8,000 करोड़ का अतिरिक्त टैक्स रेवेन्यू मिलेगा और औद्योगिक उपभोक्ताओं को ₹9,500 करोड़ की क्रॉस-सब्सिडी से राहत मिलेगी। पंचायतों को भी ₹5 लाख तक की सालाना ग्रांट दी जाएगी जिससे गांवों का आधारभूत ढांचा मजबूत होगा। महिलाओं की भागीदारी भी इस योजना में बढ़ेगी क्योंकि दिन के समय बिजली मिलने से वे खेती से जुड़े कार्यों में आसानी से हिस्सा ले सकेंगी।
क्या देश के बाकी राज्यों को अपनाना चाहिए यह मॉडल?
यह योजना ना केवल महाराष्ट्र के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक उदाहरण है। केंद्र की PM-KUSUM योजना पहले से ही सौर कृषि पंपों को बढ़ावा दे रही है, लेकिन महाराष्ट्र का मॉडल दिखाता है कि नीति का सफल क्रियान्वयन राज्य स्तर पर कैसे किया जा सकता है। GIS बेस्ड लैंड मैपिंग, डिजिटल डेटा रूम और पारदर्शी बिडिंग सिस्टम ने इस योजना को कागज़ों से जमीन पर उतार दिया है। पेमेंट सिक्योरिटी फंड और डेवलपर्स के लिए भरोसेमंद तंत्र ने निजी निवेश को भी आकर्षित किया है। यह योजना भारत के ऊर्जा ट्रांजिशन के लिए एक मॉडल बन सकती है जिसे अन्य राज्य भी अपनाकर कृषि सब्सिडी में कटौती, औद्योगिक बिजली दरों में कमी और ग्रामीण रोजगार सृजन को संभव बना सकते हैं।
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