आजकल AI की दुनिया में तहलका मचा हुआ है, और इस बार इसका कारण है चीन की स्टार्टअप DeepSeek का नया AI मॉडल R1। Nvidia के CEO Jensen Huang ने CNBC को दिए एक इंटरव्यू में इस मॉडल को लेकर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि यह AI मॉडल जितना सोचा गया था, उससे 100 गुना ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की मांग करेगा!

DeepSeek का R1 मॉडल क्यों खास है?
Jensen Huang ने DeepSeek के R1 मॉडल को “फैंटास्टिक” बताया क्योंकि यह दुनिया का पहला ओपन-सोर्स reasoning मॉडल है। इस मॉडल की सबसे खास बात यह है कि यह किसी भी समस्या को स्टेप-बाय-स्टेप हल करता है, अलग-अलग संभावित उत्तर निकाल सकता है, और खुद वेरिफाई भी कर सकता है कि उसका जवाब सही है या नहीं। लेकिन असली चौंकाने वाली बात ये है कि यह AI मॉडल नॉर्मल AI से 100 गुना ज्यादा कंप्यूटिंग पावर लेता है! Huang ने कहा, “पहले लोग सोच रहे थे कि reasoning AI कम पावर लेगा, लेकिन नतीजा बिलकुल उल्टा निकला! यह तो 100 गुना ज्यादा कंप्यूटिंग इस्तेमाल कर रहा है।”
AI स्टॉक्स में मच गया हड़कंप! Nvidia को लगा तगड़ा झटका
जनवरी के आखिर में जब DeepSeek के इस मॉडल की खबर आई, तो AI इंडस्ट्री में हलचल मच गई। इन्वेस्टर्स को लगा कि यह नया मॉडल कम लागत में बड़े AI टूल्स जितना पावरफुल हो सकता है, और इसी डर से AI कंपनियों के स्टॉक्स गिरने लगे।
Nvidia के शेयर 17% गिर गए और कंपनी को एक ही दिन में $600 बिलियन (लगभग 50 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ! यह अमेरिका के इतिहास की सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट थी।
Nvidia का नया प्लान – AI में होगा खरबों डॉलर का इन्वेस्टमेंट!
Huang ने Nvidia के नए प्लान्स पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि कंपनी AI के लिए नई रोबोटिक्स और एंटरप्राइज़ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रही है। Nvidia ने Dell, HPE, Accenture, ServiceNow और CrowdStrike जैसी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप भी की है।
उन्होंने यह भी प्रेडिक्ट किया कि आने वाले सालों में AI इंडस्ट्री पर 1 ट्रिलियन डॉलर (100 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा खर्च होगा और इसमें Nvidia की भी बड़ी हिस्सेदारी होगी।
Huang का कहना है – “हमारे पास बिल्ड करने के लिए बहुत इन्फ्रास्ट्रक्चर है, और यह AI इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा मौका है!”
DeepSeek के R1 मॉडल ने यह दिखा दिया कि AI अब सिर्फ जनरेटिव टेक्नोलॉजी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि reasoning और decision-making में भी कमाल करेगा। लेकिन इसकी भारी कंप्यूटिंग पावर की जरूरत के चलते यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी कंपनियां इस नए बदलाव के लिए तैयार हैं।
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