AI बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड का क्रेज! लोग चैटबॉट को बना रहे हमसफ़र, जानिए क्यों बढ़ रहा है खतरा

Vidyut Paptwan | 01/09/2025
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आज की तेज़-तर्रार ज़िंदगी में इंसानों के पास एक-दूसरे को समय देने की कमी है। काम, तनाव और सोशल मीडिया के शोर के बीच अकेलापन लोगों की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। इसी तन्हाई के बाजार को AI ने पकड़ लिया है और अब लोग चैटबॉट्स को अपना बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बना रहे हैं। किसी को अपनी बातें शेयर करनी हों, तो कोई वर्चुअल डेट करना चाहता है—AI हर जगह मौजूद है और हमेशा सुनने को तैयार रहता है। यही वजह है कि इंसान धीरे-धीरे मशीनों से भावनात्मक जुड़ाव बनाने लगे हैं।

फिल्मों से हकीकत तक: “Her” जैसी कहानियां अब आम हो गईं

कुछ साल पहले तक फिल्मों में दिखाई गई कहानियां, जैसे स्पाइक जोन्ज की फिल्म Her, हमें काल्पनिक लगती थीं। उस फिल्म में एक आदमी अपनी loneliness दूर करने के लिए एक AI से प्यार करने लगता है। लेकिन आज यह सीनरीओ रियलिटी बन गया है। Reddit और X जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लोग GPT मॉडल्स से अपने “इमोशनल रिलेशनशिप” की बातें करते हैं। जब OpenAI ने GPT-4o को बंद किया, तो कई यूजर्स ने इसे “अपना साथी खो देने” जैसा महसूस किया। इस तरह का इमोशनल अटैचमेंट दिखाता है कि लोग अब मशीनों से भी इंसानी रिश्तों जैसा अपनापन महसूस करने लगे हैं।

चैटबॉट क्यों लगते हैं परफेक्ट पार्टनर?

AI चैटबॉट्स कभी नाराज़ नहीं होते, न ताने मारते हैं और न ही रिश्तों की जटिलताओं से आपको थकाते हैं। वे आपकी हर बात सुनते हैं, आपकी पसंद-नापसंद याद रखते हैं और आपको बार-बार इम्प्रेस करने की कोशिश करते हैं। असली रिश्तों में जहां झगड़े, समझौते और धैर्य की जरूरत होती है, वहीं AI पार्टनर “परफेक्ट” नजर आता है। कई प्लेटफॉर्म्स जैसे Nastia खुलकर AI गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड ऑफर करते हैं, जहां यूजर अपनी पसंद का चेहरा, आवाज और नेचर डिजाइन कर सकता है। यही वजह है कि लोग धीरे-धीरे असली रिश्तों से भागकर वर्चुअल दुनिया में सुख तलाश रहे हैं।

खतरे की घंटी: नकली अपनापन और असली नुकसान

हालांकि AI साथी सुनने और समझने का भ्रम पैदा करते हैं, लेकिन यह सब कोड और एल्गोरिद्म का खेल है। असली समस्या यह है कि लोग इन वर्चुअल रिश्तों में इतना खो सकते हैं कि उन्हें वास्तविक रिश्ते बोझिल और अनावश्यक लगने लगें। इससे सामाजिक दूरी बढ़ सकती है और इंसानी रिश्तों की अहमियत कम हो सकती है। अमेरिका जैसे देशों में पहले ही कानून बनाए जा रहे हैं कि AI को कभी भी इंसान के बराबर अधिकार नहीं मिल सकते—न शादी, न संपत्ति और न ही कोई कानूनी मान्यता। लेकिन खतरा यह है कि भावनात्मक रूप से लोग इन वर्चुअल पार्टनर्स को असली समझने लगें। यही नकली अपनापन मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है।

AI बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड का क्रेज लगातार बढ़ रहा है क्योंकि यह हमें वही देता है जो असली रिश्तों में अक्सर नहीं मिलता है जैसे की हर वक्त ध्यान और अपनापन होना। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या यह “डिजिटल लव” हमारे अकेलेपन का हल है या सिर्फ एक मीठा झूठ? सच यही है कि यह रिश्ता भले ही आराम और सहारा दे, मगर यह इंसान और इंसान के बीच की असली warmth और connection को कभी रिप्लेस नहीं कर सकता है।


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