“रेगिस्तान के नीचे छुपे हैं अनमोल खजाने: AI से खुलेंगे हजारों साल पुराने राज!”

रेगिस्तान वह जगह है जहां सिर्फ रेत और धूल की लहरें नज़र आती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस रेत के नीचे भी ऐसे राज़ छिपे हुए हैं, जो हजारों साल पुराने हैं? और अब इन खजानों को ढूंढने का काम कर रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)। चलिए जानते हैं कि कैसे ये टेक्नोलॉजी रेगिस्तान के नीचे दबी कहानियों को बाहर ला रही है।

“The Empty Quarter” – सिर्फ रेत या कुछ और?

अरेबियन पेनिनसुला का एक हिस्सा जिसे ‘रब अल-खाली’ या ‘द एम्प्टी क्वार्टर’ कहा जाता है, लगभग 250,000 वर्ग मील (650,000 वर्ग किलोमीटर) में फैला हुआ है। पहली नज़र में यह सिर्फ रेगिस्तान नज़र आता है, जहां बस रेत के बड़े-बड़े टीले होते हैं। लेकिन यह सिर्फ आपकी नज़र का धोखा है! यहां ऐसी चीज़ें छिपी हुई हैं, जिनकी खोज अब तक मुश्किल थी।

AI का कमाल – कैसे छिपी चीज़ें हो रही हैं बेनकाब?

अबू धाबी की खलीफा यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने इस चुनौती को हल करने के लिए एक नया तरीका निकाला है। पहले आर्कियोलॉजिस्ट जमीन पर जाकर सर्वे करते थे, लेकिन यह काफी समय लेने वाला और कठिन काम था, खासकर रेगिस्तान जैसे कठिन इलाकों में। हालांकि, अब Google Earth जैसी सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग होने लगा था, लेकिन रेगिस्तान की धूल भरी आंधियां और रेत के टीले इसे भी मुश्किल बना देते हैं।

इसीलिए, शोधकर्ताओं ने एक मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म बनाया जो सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) तकनीक का उपयोग करता है। यह तकनीक सैटेलाइट से रेडियो तरंगों की मदद से जमीन के नीचे छिपी चीजों का पता लगाती है, चाहे वो रेत हो, मिट्टी हो या फिर बर्फ। इससे उन चीजों का भी पता लगाया जा सकता है जो आपकी आंखों से छिपी रहती हैं।

SAR और मशीन लर्निंग की जोड़ी – एक नई खोज

SAR इमेजरी का उपयोग 1980 से हो रहा है और मशीन लर्निंग भी आर्कियोलॉजी में धीरे-धीरे अपनी जगह बना रही है। लेकिन इन दोनों का एक साथ उपयोग एक नई खोज है। रिसर्च टीम ने इस एल्गोरिद्म को सारूक अल-हदीद नामक साइट से डेटा लेकर ट्रेन किया, जो दुबई के बाहर स्थित एक पुरानी बस्ती है। यहां 5,000 सालों से मानव गतिविधियों के सबूत मिलते रहे हैं।

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