AI की वजह से 22–25 साल के युवाओं की नौकरियां खतरे में! जूनियर कोडर्स सबसे बड़ी मार झेल रहे

Vidyut Paptwan | 28/08/2025
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AI और ऑटोमेशन ने काम करने के तरीके एकदम बदल दिए हैं। अब अनेक कंपनियाँ दिन भर के रिपीट होने वाले टास्क कम लोगों और स्मार्ट टूल्स से पूरा कर रही हैं। 22 से 25 साल के नए पेशेवर अक्सर वही काम करके अपना करियर शुरू करते थे। जूनियर कोडिंग, डेटा एंट्री और कस्टमर सपोर्ट जैसे रोल पर उपलब्धियाँ घट रही हैं। स्वचालन के कारण एंट्री-लेवल जॉब्स की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। कई युवा कॉलेज के बाद नौकरियों के लिए आवेदन कर रहे हैं लेकिन शुरुआती अवसर कम मिलने से उन्हें निराशा झेलनी पड़ रही है। स्टार्टअप्स और बड़ी कंपनियों में ये बदलाव तेज़ी से दिखाई दे रहे हैं और रोजगार संरचना में बदलाव केवल तकनीक तक सीमित नहीं है बल्कि रोजगार की गुणवत्ता और अवसरों के वितरण में भी परिवर्तन ला रहा है।

कौन प्रभावित हो रहा है और क्यों

सबसे अधिक प्रभावित वे युवा हैं जो कॉलेज से हाल ही में निकले हैं और 22 से 25 साल की आयु में करियर की शुरुआत कर रहे हैं। पहले कंपनियाँ नए कर्मचारियों को बेसिक टास्क देकर ट्रेन करती थीं ताकि उन्हें अनुभव मिल सके। आज वही बेसिक टास्क AI टूल्स सेकंडों में कर देते हैं, इसलिए हायरिंग में प्राथमिकताएँ बदल रही हैं। जूनियर सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, डेटा एंट्री ऑपरेटर्स, कॉल सेंटर एजेंट्स और रूटीन एडमिनिस्टेटिव रोल सबसे पहले लक्षित हो रहे हैं। दूसरी ओर उन कर्मियों का काम आसान और अधिक उत्पादक हुआ है जिनके पास गहरा अनुभव और जटिल समस्या सुलझाने की क्षमता है। इस असंतुलन ने नए उम्मीदवारों के लिए नौकरी पाने की यात्रा कठिन कर दी है और युवा बेरोजगारों के बीच आशंका और तनाव बढ़ा दिया है।

समाधान और अगला कदम

युवाओं के पास विकल्प हैं और रणनीतियाँ हैं जिनसे वे बदलते रोजगार परिदृश्य में टिक सकते हैं। उन्हें AI को विरोध की बजाय साथी मानकर उसके टूल्स इस्तेमाल करना सीखना चाहिए। तकनीकी क्षेत्र में डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी, क्लाउड टेक्नोलॉजी और मशीन लर्निंग जैसी उच्च माँग वाली स्किल्स पर ध्यान दें। साथ ही सॉफ्ट स्किल्स जैसे कम्युनिकेशन, टीमवर्क और प्रॉब्लम सॉल्विंग को मजबूत करें। ओपन सोर्स प्रोजेक्ट्स, इंटर्नशिप और फ्रीलांस प्रोजेक्ट्स से वास्तविक अनुभव हासिल करें ताकि रिज्यूमे मजबूत बने। कंपनियों और नीति निर्माताओं को एंट्री-लेवल ट्रेनिंग प्रोग्राम्स और रेसकिलिंग पहल तेज करनी चाहिए ताकि युवा नए अवसर पा सकें। बदलाव के साथ चलना ज़रूरी है।


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