आजकल, मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, खासकर बच्चों और युवाओं के बीच। बढ़ते दबाव, तनाव और सोशल मीडिया के प्रभाव के चलते सुसाइड जैसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। लेकिन यहां एक अच्छी खबर है! AI (Artificial Intelligence) ने इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए नया चमत्कारी तरीका खोज निकाला है।

AI का उपयोग सुसाइड रोकने में कैसे किया जा सकता है?
AI एक ऐसी तकनीक है जो बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण कर सकती है और पैटर्न पहचान सकती है। यह सुसाइड की प्रवृत्तियों को जल्दी पहचानने और उचित समय पर अलर्ट करने में सक्षम है। इसका मतलब है कि AI मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को यह बताने में मदद कर सकता है कि कब किसी व्यक्ति को मदद की जरूरत है।
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. विकास गौड़ ने हाल ही में कोटा, जयपुर जैसी जगहों में AI आधारित मॉडल का उपयोग सुसाइड रोकने के लिए करने की बात की है। यह मॉडल लोगों के व्यवहार, सोशल मीडिया पोस्ट्स और बातचीत का विश्लेषण करता है ताकि संभावित आत्महत्या की स्थिति को पहले ही पहचान सके और उस व्यक्ति को सहायता उपलब्ध कराई जा सके।
कैसे काम करता है यह AI मॉडल?
यह AI मॉडल विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है ताकि यह मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े व्यवहार और संकेतों को समझ सके। इस AI मॉडल को बच्चे के मोबाइल में ऐप के रूप में इनस्टॉल किया जाता है।
- डेटा का विश्लेषण: AI लगातार सोशल मीडिया पोस्ट्स, टेक्स्ट मेसेजेस और अन्य डिजिटल बातचीत का विश्लेषण करता है।
- संकेत पहचानना: जब यह किसी व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव या अवसाद जैसे लक्षणों को देखता है, तो यह सिस्टम तुरंत अलर्ट कर देता है।
- अलर्ट और सहायता: मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ या परिवार के सदस्य को तुरंत सूचित किया जाता है ताकि उस व्यक्ति को समय रहते मदद मिल सके।
इस मॉडल की सटीकता 95% से भी अधिक है, जो कि इसे एक भरोसेमंद समाधान बनाता है। राजस्थान में इसे विभिन्न जगहों पर उपयोग किया जा रहा है और इसके परिणाम काफी उत्साहजनक रहे हैं।
AI कैसे बचा सकता है जानें: एक उदाहरण
मान लीजिए, एक 16 साल का लड़का, राहुल, जो पढ़ाई और पारिवारिक दबाव के चलते डिप्रेशन में था, उसने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कई निराशाजनक पोस्ट डालना शुरू कर दिया। उसका व्यवहार अचानक बदल गया – वह दोस्तों से बात नहीं कर रहा था, स्कूल की गतिविधियों में भाग लेना बंद कर दिया था। लेकिन उसके माता-पिता को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
AI मॉडल (जो की उसके मोबाइल में ऐप के रूप में इनस्टॉल है) ने राहुल के सोशल मीडिया पोस्ट्स और ऑनलाइन गतिविधियों का विश्लेषण किया और पाया कि उसके पोस्ट्स में आत्महत्या के विचारों के संकेत थे। AI ने तुरंत अलर्ट भेजा और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने राहुल के परिवार से संपर्क किया। समय रहते, राहुल को परामर्श और आवश्यक चिकित्सा सहायता मिली और एक बड़ी त्रासदी टल गई।
AI का भविष्य: और कैसे सुधार कर सकता है यह तकनीक?
AI का उपयोग अब केवल सुसाइड रोकने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समझने और हल करने में भी लागू किया जा रहा है।डॉ. पीएल भालोठिया, झुंझुनू मेडिकल कॉलेज से, बताते हैं कि डिजिटल दुनिया में AI तेजी से विकास कर रहा है। शिक्षा, चिकित्सा, और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्रों में इसका प्रभाव बहुत तेजी से बढ़ रहा है। AI न केवल मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए, बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी एक सहायक उपकरण बन रहा है।
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