RBI की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा! जनरेटिव AI बदल देगा बैंकिंग का खेल, अब बिना क्रेडिट हिस्ट्री भी मिलेगा लोन

Vidyut Paptwan | 17/08/2025
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा रिपोर्ट ने देश के बैंकिंग सेक्टर में एक नया मोड़ ला दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) भारतीय बैंकिंग सिस्टम की तस्वीर पूरी तरह बदल सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि अब बिना क्रेडिट हिस्ट्री वाले लोगों को भी लोन मिलने का रास्ता खुल जाएगा, जिससे करोड़ों लोग बैंकिंग दायरे में आ पाएंगे।

जेनरेटिव AI से बदलेगी भारतीय बैंकिंग की तस्वीर

RBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि जेनरेटिव AI के इस्तेमाल से बैंकिंग कार्यों की दक्षता लगभग 46% तक बढ़ सकती है। यह तकनीक बैंकों को ग्राहकों की आदतों को बेहतर ढंग से समझने, उनकी जरूरतों के हिसाब से सेवाएं देने और कामकाज को तेज बनाने में मदद करेगी। खास बात यह है कि AI ग्राहकों के व्यवहार का विश्लेषण कर जोखिम को कम करने और लागत को घटाने में भी अहम भूमिका निभाएगी। इसका मतलब है कि बैंक कम खर्च में ज्यादा ग्राहकों को सेवा दे पाएंगे।

बिना क्रेडिट हिस्ट्री भी मिलेगा लोन

भारत में आज भी बड़ी आबादी ऐसी है, जिनकी कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है। ऐसे लोगों को बैंक लोन देने से हिचकिचाते हैं। लेकिन जेनरेटिव AI इस समस्या को हल कर सकता है। AI अब गैर-पारंपरिक डेटा जैसे बिजली बिल भुगतान, मोबाइल उपयोग, GST रिटर्न, या ऑनलाइन शॉपिंग पैटर्न के आधार पर किसी व्यक्ति की क्रेडिट योग्यता का अंदाजा लगा सकता है। यानी जिन लोगों ने कभी बैंक से लोन नहीं लिया, वे भी अब लोन लेने योग्य बन सकेंगे। इससे नॉन-बैंकिंग आबादी भी औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जुड़ जाएगी।

AI से होगी स्मार्ट बैंकिंग और बेहतर सर्विस

आज के समय में बैंकिंग में AI चैटबॉट्स भी बड़ा बदलाव ला रहे हैं। ये चैटबॉट्स ग्राहकों के सवालों का तुरंत जवाब देकर सेवा की गुणवत्ता बढ़ा रहे हैं। इससे बैंक कर्मचारियों को जटिल मामलों पर फोकस करने का मौका मिल रहा है। वैश्विक स्तर पर भी वित्तीय सेवाओं में AI का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और RBI के अनुसार, अगले 10 साल में भारत में जेनरेटिव AI का बाजार 1.02 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है। इसका सीधा मतलब है कि आने वाले समय में बैंकिंग ज्यादा तेज, सुरक्षित, और ग्राहक-हितैषी बन जाएगी।

AI के सही इस्तेमाल से भारत न केवल वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा देगा, बल्कि बैंकिंग सेक्टर को भविष्य की चुनौतियों के लिए भी तैयार करेगा। आने वाले सालों में यह बदलाव हर आम नागरिक की जिंदगी को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाला है।


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