आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आज हर किसी की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। लोग रोज़ चैटजीपीटी, जेमिनी या परप्लेक्सिटी जैसे टूल्स पर सवाल पूछते हैं और झटपट जवाब पा लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपके एक सवाल का पर्यावरण पर कितना असर पड़ता है? हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने इस राज़ से पर्दा उठाया है और सच मानिए, आंकड़े हैरान करने वाले हैं।

हर सवाल की एक “कीमत” होती है
रिपोर्ट के मुताबिक, एआई से पूछे गए एक सवाल का जवाब तैयार करने में बहुत अधिक बिजली और पानी खर्च होता है। डेटा सेंटर, जहां से एआई ऑपरेट होता है, को ठंडा रखने के लिए करोड़ों लीटर पानी की जरूरत होती है। एक बड़े डेटा सेंटर में हर दिन करीब 50 लाख गैलन पानी इस्तेमाल हो सकता है। यह उतना है, जितना एक छोटे शहर की रोजाना जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त है। यही नहीं, एआई से बने एक एचडी इमेज को तैयार करने में जितनी ऊर्जा लगती है, उतनी से आप अपना स्मार्टफोन आधा चार्ज कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि लोग एआई का इस्तेमाल तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि इसका पर्यावरण पर कितना गहरा असर होता है।
लेकिन सिर्फ एआई ही नहीं…
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पर्यावरण पर असर डालने में सिर्फ एआई ही जिम्मेदार नहीं है। उदाहरण के लिए, नेटफ्लिक्स पर एक घंटे का कंटेंट देखने में एक मुश्किल एआई सवाल से भी ज्यादा ऊर्जा खर्च हो जाती है। फिर भी चिंता इसलिए बढ़ रही है क्योंकि एआई का उपयोग दिन-प्रतिदिन कई गुना तेज़ी से बढ़ रहा है।
एक्सपर्ट्स सुझाव देते हैं कि जहां तक संभव हो, हमें एआई से बनाई गई इमेजेज का उपयोग कम करना चाहिए। इसके बजाय असली कैमरे से खींची गई तस्वीरें इस्तेमाल करने से पर्यावरण पर बोझ कम पड़ेगा।
डेटा सेंटर और बढ़ता खतरा
एआई को चलाने वाले ज्यादातर डेटा सेंटर अभी भी जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हैं। न तो बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा रहा है और न ही पवन ऊर्जा का। यानी जितना ज्यादा एआई का इस्तेमाल बढ़ेगा, उतना ही ज्यादा कार्बन उत्सर्जन और पानी की खपत बढ़ेगी।
एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि एआई से पूछा गया एक आसान सवाल, जैसे “फ्रांस की राजधानी क्या है?”, गूगल पर सर्च किए गए सवाल से 23 गुना ज्यादा ऊर्जा खा जाता है। वजह यह है कि एआई को न सिर्फ जानकारी खोजनी पड़ती है बल्कि जवाब खुद लिखना भी पड़ता है। यही कारण है कि ऊर्जा की खपत कई गुना बढ़ जाती है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि एआई से बनाई गई 3 सेकंड की एक वीडियो क्लिप इतनी बिजली खा सकती है कि उससे एक बल्ब पूरे साल जलाया जा सकता है।