AI और रोबोटिक्स के तेज़ विकास ने पूरी दुनिया को एक नए मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। अब यह केवल एक तकनीकी चर्चा नहीं रही, बल्कि एक वास्तविक खतरा बन चुकी है। RethinkX के रिसर्च डायरेक्टर एडम डोर का कहना है कि 2045 तक 90% से ज्यादा इंसानों की नौकरियां खत्म हो सकती हैं। उनका यह दावा सिर्फ एक अंदाजा नहीं है बल्कि उन्होंने इतिहास की 1,500 से अधिक तकनीकी क्रांतियों का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। उनका मानना है कि AI की स्पीड, एफिशिएंसी और कम लागत के सामने इंसान टिक नहीं पाएगा और मशीनें लगभग हर सेक्टर में इंसानों की जगह ले लेंगी।

AI के आने से सबसे बड़ा खतरा उन नौकरियों पर मंडरा रहा है जो नियमित, दोहराए जाने वाले और वर्कफ्लो आधारित हैं। जैसे डेटा एंट्री, कस्टमर सपोर्ट, बैंकिंग, क्लर्क, ट्रैवल एजेंट, कॉल सेंटर जैसी नौकरियां सबसे पहले ऑटोमेशन की चपेट में आएंगी। इन क्षेत्रों में AI तेज, सटीक और बिना थके 24 घंटे काम कर सकता है। इसलिए कंपनियां लागत घटाने और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए AI की ओर तेजी से शिफ्ट कर रही हैं। एडम डोर कहते हैं कि AI केवल नौकरी छीनने तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि वह भविष्य की पूरी इकोनॉमी को बदल देगा। अगर समय रहते नए आर्थिक मॉडल नहीं लाए गए तो करोड़ों लोग बेरोजगार होकर एक बड़े संकट में फंस सकते हैं।
हालांकि, हर चीज AI नहीं कर पाएगा। डोर का मानना है कि तीन काम ऐसे हैं जिन्हें AI नहीं छीन सकता – राजनेता, यौनकर्मी और नैतिकता या विश्वास पर आधारित पेशे। इन कामों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सामाजिक समझ और इंसानियत की जरूरत होती है जो किसी भी मशीन में नहीं डाली जा सकती। इसके अलावा AI के लिए अब भी वो काम चुनौती हैं जिनमें संवेदनशीलता, रचनात्मकता और मानवीय जुड़ाव की जरूरत होती है। ऐसे कार्यों में डॉक्टर, साइकोलॉजिस्ट, टीचर, आर्टिस्ट जैसे प्रोफेशनल्स की भूमिका बनी रह सकती है बशर्ते वे खुद को लगातार अपडेट करते रहें।
OpenAI के सैम ऑल्टमैन और Meta के चीफ AI साइंटिस्ट यान लेकुन जैसे विशेषज्ञ मानते हैं कि AI जहां पुरानी नौकरियों को खत्म करेगा, वहीं कुछ नई नौकरियों को भी जन्म देगा। मगर उनका यह भी कहना है कि ये नई नौकरियां पूरी तरह से अलग होंगी – जैसे कि प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग, AI सिस्टम ऑपरेशन, एथिकल डिजाइन, रोबोट मेंटेनेंस आदि। मतलब ये कि आने वाले समय में काम उन्हीं को मिलेगा जो खुद को नए स्किल्स से लैस करेंगे। अब ये समय डरने का नहीं, खुद को बदलने का है। जो लोग समय रहते AI को समझेंगे और इसे सीखेंगे, वही भविष्य में टिक पाएंगे। वरना ये तकनीकी क्रांति करोड़ों लोगों को बेरोजगारी की गहरी खाई में धकेल देगी।
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