अब मरे हुए लोगों से भी बात कराएगा AI, नई तकनीक ने खोला रूह कांपाने वाला राज़

Vidyut Paptwan | 21/08/2025
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तकनीक हर दिन नए-नए चमत्कार कर रही है। पहले यह सिर्फ काम आसान करने के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब यह इंसानी भावनाओं तक गहराई से पहुंच चुकी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब ऐसे स्तर पर पहुंच गया है जहां यह उन लोगों की आवाज को भी जीवित कर सकता है, जो इस दुनिया में नहीं रहे। हाल ही में सामने आया Creepy AI नाम का एक टूल इसी का उदाहरण है। यह दावा करता है कि यह मृतक परिजनों या करीबियों की आवाज में बातचीत करा सकता है।

कल्पना कीजिए, कोई अपना गुजर जाए तो उसकी तस्वीरें और वीडियो ही हमारी यादों का सहारा होते हैं। लेकिन कई बार दिल में यह ख्वाहिश उठती है कि काश उनसे एक बार फिर बात हो पाती। Creepy AI ने इस ख्वाहिश को किसी हद तक हकीकत का रूप दे दिया है।

Creepy AI कैसे करता है काम?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Creepy AI पुरानी रिकॉर्डिंग्स, बातचीत और आवाज के पैटर्न का विश्लेषण करता है। इसके बाद यह उन्हीं शब्दों, टोन और अंदाज में जवाब देने लगता है, जैसे वह असल व्यक्ति दिया करता था। यूजर्स को ऐसा अहसास होता है मानो सामने वही इंसान बैठा हो और उनसे बात कर रहा हो।

यह संवाद पूरी तरह मशीन द्वारा तैयार होता है और वास्तविक बातचीत नहीं होती है। इसके बावजूद, बहुत से लोग इसे अपनाकर भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। कुछ तो रोज-रोज अपने दिवंगत परिजनों से बात करने और उनसे सलाह लेने तक लगे हैं।

लोगों को राहत या खतरा?

यह तकनीक जितनी आकर्षक लगती है, उतनी ही डरावनी भी है। कई लोग इसे खोए हुए रिश्तों से जोड़ने का माध्यम मान रहे हैं, वहीं मनोवैज्ञानिक और साइबर विशेषज्ञ इसके गंभीर परिणामों को लेकर चेतावनी दे रहे हैं। उनका कहना है कि अगर लोग लंबे समय तक ऐसी वर्चुअल बातचीत में उलझे रहे तो वे वास्तविक रिश्तों से दूर हो सकते हैं। धीरे-धीरे यह उन्हें एक काल्पनिक दुनिया में धकेल सकता है, जहां से बाहर आना मुश्किल हो जाएगा।

इसके अलावा, इस तकनीक से प्राइवेसी और साइबर सुरक्षा को लेकर भी खतरे बढ़ जाते हैं। क्योंकि जब यूजर्स मृतक परिजनों की आवाज़ और डेटा इस AI को सौंपते हैं, तो यह सारी जानकारी कंपनी के पास स्टोर हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि संवेदनशील डेटा गलत हाथों में पड़ने पर पहचान की चोरी, साइबर फ्रॉड और अन्य अपराधों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कंपनी का दावा है कि इसका मकसद सिर्फ लोगों को भावनात्मक सुकून दिलाना है। लेकिन कई विशेषज्ञ इसे भावनाओं के शोषण के रूप में देख रहे हैं।

तकनीक का भविष्य और जिम्मेदारी

Creepy AI जैसी तकनीकें इंसानी भावनाओं को नई दिशा दे रही हैं। एक ओर यह हमें खोए हुए प्रियजनों की आवाज सुनने का सुकून देती है, वहीं दूसरी ओर यह मानसिक स्वास्थ्य और समाज पर गहरा असर डाल सकती है।

विशेषज्ञों की राय है कि इस AI को एक तकनीकी प्रयोग की तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए, न कि वास्तविक संवाद के विकल्प के रूप में। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हमें असली जिंदगी और रिश्तों से दूर कर सकता है।

भविष्य में यह तकनीक और भी विकसित हो सकती है, लेकिन हमें यह तय करना होगा कि इसे राहत के साधन के रूप में देखें या भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाला एक खतरनाक टूल।


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