दुनिया भर में जब कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को अपनाकर हज़ारों नौकरियां खत्म कर रही हैं, ऐसे समय में OpenAI का एक बड़ा फैसला सुर्खियों में है। कंपनी ने हाल ही में अपने सैन फ्रांसिस्को ऑफिस में ‘Content Strategist’ की भर्ती का ऐलान किया है। इस नौकरी का सालाना पैकेज ₹2.72 करोड़ से ₹3.45 करोड़ तक रखा गया है। यही नहीं, इसके साथ इक्विटी भी दी जाएगी। अब सवाल यह उठता है कि जब ChatGPT जैसा टूल सबकुछ लिख सकता है, तो आखिर इंसान की ज़रूरत क्यों पड़ रही है?

इंसानों की ज़रूरत क्यों है जब AI सबकुछ कर सकता है?
OpenAI ने इस रोल के लिए साफ कहा है कि नया कंटेंट स्ट्रैटेजिस्ट ChatGPT.com की कंटेंट स्ट्रैटेजी को परिभाषित और लागू करेगा। इसका मतलब है कि नौकरी सिर्फ कंटेंट लिखने तक सीमित नहीं है, बल्कि ब्रांड की आवाज़, दिशा और रणनीति तय करना भी इसमें शामिल होगा। जॉब डिस्क्रिप्शन के मुताबिक उम्मीदवार को लैंडिंग पेज, गाइड्स और कैंपेन जैसे हाई-क्वालिटी कंटेंट तैयार करने की ज़िम्मेदारी होगी। इसके लिए 6 से 10 साल का अनुभव और किसी बड़े ब्रांड या हाई-ग्रोथ कंपनी में काम करने का बैकग्राउंड मांगा गया है।
यानी यहां इंसान से वही काम कराया जाएगा, जिसमें सिर्फ “लिखने” से ज़्यादा “सोचने” की ज़रूरत है। AI आउटपुट तो दे सकता है, लेकिन सही दिशा और रणनीति तय करना अब भी इंसानी दिमाग का खेल है।
AI के बढ़ते उपयोग के बीच छंटनी की लहर
AI के बढ़ते उपयोग ने नौकरी की दुनिया को हिला दिया है। हाल ही में Salesforce ने करीब 4,000 कर्मचारियों की छंटनी कर दी क्योंकि उनकी जगह AI एजेंट्स को ग्राहक सेवा में उतार दिया गया। Fortune की एक रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई महीने में अकेले अमेरिका में 62,000 से ज़्यादा नौकरी कट की घोषणा हुई, जो जून की तुलना में 29% ज़्यादा और पिछले साल जुलाई से 140% ज़्यादा है।
इन सबके बीच OpenAI का यह कदम एक दिलचस्प विरोधाभास पेश करता है। एक ओर कंपनियां AI से इंसानी नौकरियां खत्म कर रही हैं, वहीं AI बनाने वाली कंपनी खुद इंसानों को करोड़ों का पैकेज ऑफर कर रही है।
क्या इंसानी सोच ही बनेगी भविष्य की सबसे बड़ी स्किल?
सोशल मीडिया पर भी इस खबर ने जोरदार चर्चा छेड़ दी। बिज़नेस स्ट्रैटेजिस्ट Katelyn Bourgoin ने लिखा, “लीडरशिप टेबल पर हमेशा वर्ल्ड-क्लास थिंकर्स के लिए जगह रहेगी। स्ट्रैटेजिक थिंकिंग कहीं नहीं जा रही।” उन्होंने कहा कि सोचने की क्षमता एक मसल की तरह है और अगर लोग इसे AI पर छोड़ देंगे तो धीरे-धीरे यह क्षमता कमज़ोर पड़ जाएगी।
एक अन्य यूज़र ने पोस्ट किया, “AI सोच को खत्म नहीं करेगा, बल्कि उसके स्तर को और ऊंचा करेगा। जो सिर्फ आउटपुट पर प्रतिस्पर्धा करेंगे, वे हार जाएंगे। लेकिन जो जजमेंट और दिशा तय करेंगे, वही जीतेंगे।”
असल में यही AI का पैरेडॉक्स है—जहां मशीनें execution आसान बना रही हैं, वहीं इंसानी स्ट्रैटेजी और निर्णय लेने की क्षमता की अहमियत और बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि OpenAI जैसी कंपनी भी इंसानों को करोड़ों की नौकरी देने को मजबूर है।