Elon Musk का अजीबोगरीब दावा: AI बढ़ाएगा इंसानों की ‘चाहत’, जन्म दर में आएगा बूम?

Vidyut Paptwan | 23/08/2025
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दुनिया के सबसे चर्चित अरबपति और टेक्नोलॉजी उद्यमी एलन मस्क ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जिसने हर किसी को चौंका दिया। 21 अगस्त 2025 को मस्क ने ट्वीट किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सीधे तौर पर इंसानों के लिम्बिक सिस्टम को प्रभावित करेगा, जो हमारी भावनाओं, चाहतों और सामाजिक व्यवहार को नियंत्रित करता है। उनका दावा है कि भविष्य में यही AI इंसानों की प्रजनन इच्छा को बढ़ाकर जन्म दर में इजाफा कर सकता है। यह बयान ऐसे समय आया है जब पूरी दुनिया में AI को लेकर चर्चा नौकरी छिनने, नैतिकता और ऑटोमेशन तक सीमित रही है, लेकिन मस्क ने इसे एक बिल्कुल नए आयाम से जोड़ा है।

AI और इंसानी दिमाग पर असर

मस्क का मानना है कि AI सिर्फ टेक्नोलॉजी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह हमारे दिमाग के सबसे संवेदनशील हिस्सों को भी प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि AI को इस तरह डिजाइन किया जा सकता है कि वह इंसानों में परिवार बनाने और बच्चों की चाहत को प्रोत्साहित करे। उनके मुताबिक, अगर इंसानों की भावनाओं को सही तरीके से टारगेट किया गया, तो यह जनसंख्या गिरावट की समस्या को हल कर सकता है। खास बात यह है कि मस्क की कंपनी xAI पहले ही ऐसे AI कम्पैनियन बना रही है जो यूजर्स के साथ इमोशनल कनेक्शन बना सकते हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह असली रिश्तों की जगह नहीं ले सकता, बल्कि समाज में रिश्तों की जटिलताओं को और बढ़ा सकता है।

घटती जन्म दर और मस्क का तर्क

आज कई विकसित देशों जैसे जापान, साउथ कोरिया और यूरोप के बड़े हिस्सों में जन्म दर लगातार घट रही है। महंगे जीवन-यापन, करियर प्रेशर और सामाजिक बदलावों ने लोगों को शादी और बच्चों से दूर कर दिया है। मस्क लंबे समय से इस बात पर जोर देते रहे हैं कि घटती जनसंख्या मानव सभ्यता के लिए बड़ा खतरा है। अब उन्होंने यह इशारा दिया है कि AI इस समस्या को हल करने में मदद कर सकता है। सवाल यह उठता है कि क्या वर्चुअल चैटबॉट्स और AI कम्पैनियन वास्तव में इंसानों को परिवार बढ़ाने के लिए प्रेरित कर पाएंगे या यह सिर्फ एक तकनीकी कल्पना रह जाएगी।

विवाद और भविष्य की संभावनाएं

मस्क के इस बयान ने विशेषज्ञों के बीच बहस छेड़ दी है। कई टेक एक्सपर्ट मानते हैं कि इंसानों की चाहत और सामाजिक व्यवहार को प्रोग्रामिंग के जरिए बदलना अभूतपूर्व कदम होगा, और इसका असर सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। वहीं, दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञ इसे गंभीरता से लेने से बचते हैं और इसे मस्क की “बोल्ड” शैली का हिस्सा मानते हैं। लेकिन एक बात तय है—इसने AI डिबेट को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। अब यह चर्चा सिर्फ नौकरी और रोबोट्स तक सीमित नहीं रही, बल्कि आने वाले समय में यह इंसानों की सबसे निजी इच्छाओं और समाज के भविष्य को भी प्रभावित कर सकती है।


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