पैरेंट्स पर नहीं, AI पर भरोसा! सर्वे में खुलासा, भारत के 13-18 साल के बच्चे सबसे ज्यादा ले रहे इमोशनल सपोर्ट

Vidyut Paptwan | 20/08/2025
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हाल ही में सामने आए एक सर्वे ने चौंकाने वाला सच उजागर किया है। भारत में युवा अब अपने दोस्तों या पैरेंट्स की बजाय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। खासतौर पर 13 से 18 साल के बच्चों में यह ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। सर्वे के मुताबिक 88% छात्र अपनी इमोशनल दिक्कतों के लिए AI टूल्स का सहारा ले रहे हैं।

क्यों बढ़ा युवाओं का भरोसा AI पर?

आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में बच्चे और युवा कई तरह के दबाव झेल रहे हैं—पढ़ाई, सोशल मीडिया प्रेशर और रिश्तों की उलझनें। ऐसे में उन्हें एक सुरक्षित और बिना जजमेंट वाला साथी चाहिए, जहां वे अपने मन की हर बात कह सकें। यही वजह है कि AI उनके लिए भरोसेमंद जगह बन गया है।
सर्वे में सामने आया कि 57% युवा तनाव या अकेलेपन की स्थिति में अपने दोस्तों से बात करने की बजाय AI चैटबॉट्स की मदद लेते हैं। यहां तक कि परिवार के सामने खुलने की बजाय वे ChatGPT जैसे टूल्स पर भरोसा करते हैं।

लड़कियों में ज्यादा क्रेज, छोटे शहर भी पीछे नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक 52% लड़कियां AI के साथ अपनी प्राइवेट बातें शेयर करती हैं, जो लड़कों की तुलना में लगभग दोगुना है। यह इस बात का संकेत है कि महिलाएं अपने विचारों और भावनाओं को सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर ज्यादा सहजता से व्यक्त करना पसंद करती हैं।
दिलचस्प बात यह भी है कि सिर्फ मेट्रो सिटी ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों और कस्बों के युवा भी इसमें पीछे नहीं हैं। 43% छोटे शहरों के स्टूडेंट्स ने माना कि वे AI के साथ अपनी निजी बातें शेयर करते हैं।

भरोसा और खतरे दोनों साथ

सर्वे “Are You There, AI?” में यह भी सामने आया कि 67% यूजर्स सोशल आइसोलेशन से परेशान हैं, जबकि 58% को प्राइवेसी को लेकर डर है। इसके बावजूद AI उनके लिए राहत का जरिया बना हुआ है। खास बात यह है कि ChatGPT इस मामले में सबसे आगे है, जिसने Gemini और Character.AI जैसे टूल्स को पीछे छोड़ दिया है।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि AI इंसानों की जगह कभी नहीं ले सकता। यह सिर्फ उन खामियों को भर रहा है, जहां पहले बच्चों को सही इमोशनल सपोर्ट नहीं मिल पाता था।

नतीजा साफ है—AI आज सिर्फ पढ़ाई या काम तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि बच्चों के दिल की बातें सुनने वाला “डिजिटल दोस्त” भी बन गया है। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या आने वाले समय में यह भरोसा युवाओं को और ज्यादा तकनीक पर निर्भर बना देगा?


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