आज की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इतनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है कि हर दिन कोई न कोई नया बदलाव देखने को मिल रहा है। इसी रफ्तार ने अब उच्च शिक्षा के भविष्य पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। गूगल की शुरुआती जनरेटिव एआई टीम का हिस्सा रहे और अब Integral AI के को-फाउंडर जाद तरीफी (Jad Tarifi) ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि अगर आज के समय में कोई छात्र सिर्फ PhD in AI करने के लिए करियर बना रहा है, तो यह फैसला उसके भविष्य को नुकसान पहुंचा सकता है।

क्यों खतरनाक हो सकती है AI में PhD?
जाद तरीफी का मानना है कि एआई का विकास इतना तेज़ हो रहा है कि जब तक कोई छात्र पीएचडी पूरी करेगा, तब तक उसकी सीखी हुई स्किल और रिसर्च पुरानी हो चुकी होगी। उन्होंने बिजनेस इनसाइडर से बातचीत में कहा कि बहुत से लोग आज एआई की हाइप में PhD कर रहे हैं, लेकिन पांच साल बाद यह डिग्री किसी काम की नहीं रहेगी। उनकी राय में, एआई की कोर टेक्नोलॉजी लगातार बदल रही है और नई इनोवेशन जैसे कि रोबोटिक्स, ड्रग डिस्कवरी और नैचुरल लैंग्वेज सिस्टम्स पहले से ही लैब्स और स्टार्टअप्स में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में, डिग्री लेने के बाद जब छात्र इंडस्ट्री में उतरेंगे, तो वहां तक सब कुछ बदल चुका होगा।
अनुभव ही देगा सफलता
तरीफी ने कहा कि PhD की जगह छात्रों को हैंड्स-ऑन एक्सपीरियंस और उन क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए जहां एआई अभी शुरुआती चरण में है, जैसे बायोलॉजी और मेडिकल साइंस। उनका मानना है कि असली सीख क्लासरूम के बाहर है। उन्होंने कहा – “आप बहुत तेजी से सीखेंगे, ज्यादा एडॉप्टिव बनेंगे और असल बदलाव को समझ पाएंगे।” उनका खुद का अनुभव इस बात की गवाही देता है। उन्होंने 2012 में यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा से AI में पीएचडी की और फिर करीब एक दशक गूगल में बिताया। अब पीछे मुड़कर देखने पर वे मानते हैं कि लंबी पढ़ाई कई बार करियर में रुकावट बन जाती है।
किन्हें करनी चाहिए AI में PhD?
हालांकि तरीफी यह भी मानते हैं कि पीएचडी पूरी तरह से बेकार नहीं है। यह उन लोगों के लिए है जो “रिसर्च के पागलपन” में डूबे रहते हैं और करियर से ज्यादा ज्ञान के लिए पढ़ाई करना चाहते हैं। ऐसे लोग अपनी खोज से नई तकनीकें सामने ला सकते हैं। लेकिन ज्यादातर छात्रों के लिए इंडस्ट्री-ओरिएंटेड स्किल्स और वास्तविक अनुभव कहीं ज्यादा कारगर साबित होंगे।
तरीफी का यह बयान एक चेतावनी की तरह है, जो दिखाता है कि एआई की दौड़ में सिर्फ किताबों और डिग्रियों से जीतना संभव नहीं होगा। आने वाले समय में जो भी तेजी से बदलते माहौल में खुद को ढाल पाएगा, वही आगे निकलेगा।