सोचिए, आप अपने घर में या ऑफिस में किसी से फोन पर बात कर रहे हैं और कोई व्यक्ति 10 फीट दूर बैठकर ही आपकी बातचीत सुन ले। यह सुनने में किसी साइंस-फिक्शन फिल्म जैसा लगता है, लेकिन अब यह हकीकत बन चुका है। पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस रिसर्चर्स ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो AI और मिलीमीटर-वेव रडार का इस्तेमाल करके फोन में हो रही बातचीत को पकड़ सकती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस तकनीक को किसी स्पाईवेयर या फोन टैपिंग की जरूरत नहीं पड़ती है।

कंपन से निकाले जाएंगे शब्द
रिसर्चर्स ने बताया कि जब हम फोन पर बात करते हैं, तो ईयरपीस से निकलने वाली आवाज के कारण फोन में बहुत हल्की कंपन होती है। यह कंपन इतनी सूक्ष्म होती है कि आम इंसान महसूस नहीं कर सकता, लेकिन मिलीमीटर-वेव रडार इसे आसानी से पकड़ लेता है। इसके बाद AI इन कंपन को डिकोड कर बातचीत को शब्दों में बदल देता है। टेस्टिंग के दौरान, इस तकनीक ने 10 फीट की दूरी से करीब 60% सटीकता के साथ बातचीत रिकॉर्ड की। यानी, हर 10 में से 6 शब्द सही तरह से समझ लिए गए।
भविष्य में बढ़ सकता है खतरा
हालांकि यह तकनीक अभी 100% सटीक नहीं है, लेकिन यह इतनी सक्षम जरूर है कि किसी संवेदनशील जानकारी को लीक कर सके। कल्पना कीजिए, अगर यह तकनीक पूरी तरह परफेक्ट हो जाए, तो कोई भी आपकी अनुमति के बिना आपकी निजी बातचीत रिकॉर्ड कर सकता है। यह प्राइवेसी के लिए एक गंभीर खतरा है, खासकर तब जब कोई गलत इरादों वाला व्यक्ति इसका इस्तेमाल करे। पहले पेगासस स्पाईवेयर को लेकर विवाद हुआ था, लेकिन अब स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है, क्योंकि इस तकनीक में फोन हैक करने की भी जरूरत नहीं है।
रिसर्चर्स की चेतावनी और सलाह
इस रिसर्च का नेतृत्व करने वाले सूर्योदय बसाक ने कहा कि यह तकनीक ठीक उसी तरह काम करती है जैसे लिप रीडिंग में लोग होंठों की हरकत से बात का अंदाजा लगाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस शोध का मकसद लोगों को सतर्क करना है, ताकि वे निजी या संवेदनशील बातचीत करते समय सावधानी बरतें। उदाहरण के लिए, महत्वपूर्ण कॉल्स को सार्वजनिक जगहों या भीड़-भाड़ वाले इलाकों में करने से बचना चाहिए। साथ ही, भविष्य में इस तकनीक को लेकर कड़े साइबर सुरक्षा कानून और सुरक्षा उपाय जरूरी होंगे, ताकि हमारी प्राइवेसी बनी रहे।
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