डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी पुरानी पॉलिसी को ज़िंदा कर दिया है। 9 अप्रैल 2025 से अमेरिका ने भारत से आने वाले सभी प्रोडक्ट्स पर 26% का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू कर दिया है। हालांकि फार्मा और एनर्जी सेक्टर को थोड़ी राहत दी गई है, लेकिन बाकी सारे एक्सपोर्टर्स के लिए यह सीधा झटका है। ये फैसला ट्रंप की ट्रेड स्ट्रैटेजी का हिस्सा है, जिसमें वो उन देशों पर भारी टैक्स लगाना चाहते हैं जो अमेरिकी सामानों पर ज्यादा टैरिफ लगाते हैं। भारत पर ये कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि भारत ने अमेरिका से आने वाले गुड्स पर 52% टैक्स लगाया हुआ है।

Waaree Energies को भारी नुकसान, शेयरों में गिरावट
इस कदम का सबसे बड़ा असर पड़ा है Waaree Energies Ltd पर। ये भारत की सबसे बड़ी सोलर मॉड्यूल निर्माता कंपनी है। अमेरिका इस कंपनी के लिए बहुत बड़ा बाजार है, जो उसकी कुल कमाई का लगभग 20% हिस्सा है।
टैरिफ की खबर आते ही शुक्रवार को Waaree के शेयरों में गिरावट आ गई। स्टॉक की कीमत ₹2234.90 से गिरकर ₹2161.20 हो गई, यानी 3.3% की गिरावट।
Waaree के पास जनवरी 2025 तक ₹50,000 करोड़ की ऑर्डर बुक थी, जिसमें से 54% विदेशी बाजारों से आ रही है – और इनमें सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका का है। ऐसे में इस टैरिफ से कंपनी को बड़ा धक्का लग सकता है।
टेक्सास प्लांट से राहत की उम्मीद?
जनवरी 2025 में कंपनी के CEO ने यह संकेत दिया था कि अमेरिका के टेक्सास में कंपनी का जो प्लांट है (1.6 GW क्षमता का), उसे बढ़ाकर 3 GW किया जा सकता है। इससे कंपनी अमेरिका के लिए वहीं लोकल प्रोडक्शन कर सकेगी और टैरिफ के असर से कुछ हद तक बचा जा सकेगा।
लेकिन एक और समस्या है। Waaree लगभग 54% रॉ मैटेरियल – खासकर सोलर सेल्स – चीन जैसे देशों से इंपोर्ट करती है। इसका मतलब है कि ट्रेड वॉर के बीच कंपनी को सप्लाई चेन में और भी दिक्कतें आ सकती हैं।
इतना कुछ होने के बाद भी Waaree नहीं रुक रही!
काफी चुनौतियों के बावजूद Waaree अपनी रफ्तार थामने के मूड में बिल्कुल नहीं है! मार्च 2025 तक कंपनी ने 15 GW की ग्लोबल सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी हासिल कर ली है, जिसमें Indosolar का 1.3 GW और अमेरिका के टेक्सास प्लांट का 1.6 GW शामिल है।
भारत में, गुजरात में कंपनी ने देश का सबसे बड़ा सोलर सेल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भी शुरू कर दिया है जिसकी क्षमता 5.4 GW है। Waaree के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में TopCon, Bifacial, BIPV और Flexible सोलर मॉड्यूल्स से लेकर इन्वर्टर, सोलर किट्स, ग्रीन हाइड्रोजन सॉल्यूशन्स और बैटरी स्टोरेज सिस्टम्स तक सब कुछ शामिल है।
इतना ही नहीं, ग्राउंड, रूफटॉप और फ्लोटिंग सोलर EPC सर्विसेज भी इसका हिस्सा हैं। PLI स्कीम के तहत कंपनी को 6 GW का मेगा प्रोजेक्ट मिला है जिसमें वह Ingot से लेकर Module तक का पूरा प्रोसेस खुद करेगी। FY27 तक Waaree की टोटल क्षमता 21 GW मॉड्यूल, 11.4 GW सेल और 6 GW इंगोट-वाफर तक पहुंचने की उम्मीद है।
हाल ही में Q3 FY25 में कंपनी ने 117% की ग्रोथ के साथ ₹3,457 करोड़ का रेवेन्यू और 371% की छलांग लगाते हुए ₹507 करोड़ का नेट प्रॉफिट दर्ज किया, जो बताता है कि Waaree अब सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि ग्लोबल सोलर इंडस्ट्री की भी बड़ी खिलाड़ी बन चुकी है!
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